क्या है Secret Electoral Bond, Why Supreme Court Banned Electoral Bond 2018 in Hindi | गुप्त चुनावी चंदा को क्यों ठहराया असंविधानिक ?

क्या है Secret Electoral Bond, Why Supreme Court Banned Electoral Bond 2018 in Hindi | गुप्त चुनावी चंदा को क्यों ठहराया असंविधानिक ?
क्या है Secret Electoral Bond Highlights :15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक न्याय पीठ, जिसमें शामिल भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, बी.आर.गवई, जे.बी.पारदीवाला और मनोज मिश्रा ने गुप्त चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित किया।

क्या है Secret Electoral Bond : क्या है चुनावी चंदा का असलियत ?

– भारत में गुप्त चुनावी बांड को अनिवार्य रूप से एक ब्याज मुक्त Bond था जिसे कोई भी कंपनि या फिर कोई भी व्यक्ति द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकता था। ये बांड भिन्न भिन्न योगदान लिमिट के अनुशार भी उपलब्ध था, जैसे कि 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग में उपलब्ध था ।

– चुनावी बांड खरीदने तथा किसी राजनीतिक दल को दान देने के लिए केवाईसी-अनुरूप खाते की आवश्यकता होती थी और तो और इसमें एक निश्चित समय सीमा धार्य था । दानकर्ता की गुमनामी बरकरार रखी गई क्योंकि बांड पर नाम और अन्य विवरण दर्ज नहीं किया गया था।हैरानी की बात ये भी है कि, किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा प्राप्त किये जा सकने वाले चुनावी बांड की मात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं था।

– सरकार ने चुनावी बांड योजना शुरू करने के लिए चार अधिनियमों में संशोधन किया, जिनमें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951, कंपनी अधिनियम 2013, आयकर अधिनियम 1961 और विदेशी योगदान अधिनियम 2010 शामिल हैं। चुनावी बॉन्ड योजना को 2017 में केंद्र सरकार द्वारा वित्त विधेयक के रूप में सदन में पेश किया गया था। चुनावी बॉन्ड योजना की अधिसूचना संसद की मंजूरी के बाद 29 जनवरी 2018 को जारी की गई थी।

– बीते चार वर्षों में, अनजान योगदानकर्ताओं ने इन विशेष बांडों का उपयोग करके विभिन्न राजनीतिक दलों को 16,000 करोड़ रुपये (1.9 अरब डॉलर के बराबर) की एक चौंकाने वाली राशि दान रूप में दिया है। ADR के द्वारा दी गई की आंकड़ों की माने तो 2018 से मार्च 2022 तक की अवधि में इन चुनावी बॉन्ड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, लगभग 57 प्रतिशत या 600 मिलियन डॉलर, प्रधान मंत्री मोदी की ओर निर्देशित बीजेपी को मिला है ।

Secret Electoral Bond को खरीदा कैसे जाता है ?

– मानलीजिये कि आप अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी को 10,000 रुपये योगदान करने के लिए उत्सुक हैं, तो अपनी निकटतम एसबीआई शाखा में जाएं और उन्हें पार्टी में 10 हजार रुपये दान करने के बारे में सूचित करें। बैंक में 10 हजार रुपये की राशि जमा करने के लिए बदले में, आपको उसी मूल्य के बराबर एक Bond प्राप्त होगा।

– यह Bond राजनीतिक दल को सौंप दिया जाएगा, रिडीम करने के लिए उन्हें 15 दिनों की अवधि प्रदान की जाएगी। यदि पार्टी दिए गए समय सीमा के भीतर Bond को रिडीम करने का प्रबंधन करती है, तो 10 हजार रुपये की जमा राशि उनके खाते में जमा की जाएगी। हालांकि, अगर पार्टी ऐसा करने में विफल रहता है, तो आपके जमा धन प्रधान मंत्री राहत निधि को दान दिया जाएगा।

Why Supreme Court Banned Electoral Bond : सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रद्द क्यों किया गया ?

– Supreme Court के पांच न्यायाधीशों की एक खंड पीठ ने फैसला सुनाते हुए यह कहा है कि, राजनीतिक दलों ने संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) में बताए गए मतदाताओं की जानकारी के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं । मुख्य न्यायाधीश D.Y. Chandrachud के नेतृत्व में संविधान खंडपीठ ने गुरुवार को यह निर्णय लिया ।

– इस Secret Electoral Bond के मामले को अच्छी तरह तैकिकात करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि इस चुनावी चंदे जैसी स्कीम के जरिए भारत सरकार ने वित्त अधिनियम 2017 के कुछ प्रावधान, जैसे की धारा 29 (1) (C) और धारा 29 (C) (A), संविधान के खंड 29 (1) (A) का विशेष रूप से उल्लंघन किया है ।

– Supreme Court ने SBI को भी फटकार लगाते हुए शक्त आदेश में कहा कि 2019 से लेकर अबतक चुनाव बांड ट्रांजेक्शन के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक करने केलिए । केंद्र सरकार का तर्क अदालत ने खारिज करते हुए कहा कि Secret Eletoral Bond योजना में पारदर्शिता की घोर कमी साफ साफ नजर आ रहा है ।

– अदालत की राय के अनुसार, चुनाव बांड प्रभावी ढंग से काले धन और अधिक संरक्षित करने को बढ़ावा देता है । जो राजनीतिक दल वित्त पोषण के बारे में जानकारी प्राप्त करने के महत्व पर जोर दे रहा है, इसके अतिरिक्त, चुनावी बांड के लेनदेन विवरण को छिपाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन माना जाता है।

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